आर्यभट्ट महाविद्यालय जो इससे पहले रामलाल आनंद महाविद्यालय (सांध्य) के नाम से जाना जाता था ,वहीं से भाषा और साहित्य
के रूप में हिन्दी के पठन –पाठन का आरंभ हुआ । पहले बी॰ ए॰ पास तो सन 1995 से महाविद्यालय में हिन्दी आनर्स की शुरुआत हुई
। हिन्दी विभाग के शुरुआती दौर में विजय मोहन सिंह , डा॰ राजेंद्र गौतम जैसे आलोचक और कवि विभाग की उपलब्धि रहे हैं ।
आज विभाग में भाषा और साहित्य के विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता रखने वाले आठ स्थायी आचार्य (सहायक, सह) हैं ।
आर्यभट्ट महाविद्यालय का हिन्दी विभाग अपने को छात्रों की सिर्फ अकादमिक उपलब्धियों तक सीमित नहीं रखता, बल्कि उनके
बहुमुखी विकास के लिए हमेशा तत्पर रहता है। इसके लिए शिक्षण-अधिगम के तमाम आधुनिक टूल्स का उपयोग करते हुए छात्रों को
अद्यतन रखने का प्रयास किया जाता है। विभाग ने छात्रों को अपने देश-समाज, ख़ासकर हाशिए के समाज के प्रति जागरूक और
संवेदनशील बनाने के लिए दलित और स्त्री लेखन को अपने पाठ्यक्रम मे शामिल किया है। समकालीन साहित्यिक और सामाजिक मुद्दों
से छात्रों को परिचित कराने के लिए विभाग समय-समय पर कार्यशाला, काव्यपाठ और व्याख्यानों जैसी साहित्यिक गतिविधियों का
आयोजन करता रहता है।