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Programme Outcomes


आर्यभट्ट महाविद्यालय (दिल्लीविश्वविद्यालय)

हिन्दी विभाग

 

बी.ए. (ऑनर्स) हिंदी पाठ्यक्रम

हिन्दी ऑनर्स के पाठ्यक्रम का उद्येश्य विद्यार्थियों में रचनात्मक क्षमता के साथ आलोचनात्मक विवेक का विकास करना है। भारतीय संविधान में देवनागरी में लिखित हिंदी को संघ की राजभाषा घोषित किया गया है। भाषा जहाँ मानवीय सम्प्रेषण का मुख्य माध्यम है वहीं साहित्य समाज, संस्कृति और कला को जानने-समझने का सृजनात्मक जरिया भी है। साहित्य का अध्ययन विद्यार्थियों के भीतर मानवता, बंधुत्व और सकारात्मकता भरते हुए उसे एक संवेदनशील नागरिक बनाता है। भाषा, आलोचना, काव्यशास्त्र का अध्ययन जहाँ सैद्धांतिक समझ को विकसित करता है वहीं कविता, नाटक, कहानी में उन सिद्धांतों को व्यावहारिक रूप में समझने की युक्तियाँ छिपी रहती हैं। इस प्रकार हिन्दी ऑनर्स का पाठ्यक्रम विद्यार्थियों को भाषा और साहित्य  को समझने के लिए सैद्धांतिक और व्यावहारिक दोनों रूपों से सक्षम बनाता है।

    भूमंडलीकरण के बाद हिन्दी एक वैश्विक भाषा बन गई है और दुनिया के दो सौ से अधिक विश्वविद्यालयों में इसका पठन-पाठन हो रहा है। यह पाठ्यक्रम वर्तमान सन्दर्भों के अनुकूल है साथ ही इस पाठ्यक्रम का आधुनिक रूप रोजगारपरक भी है। इस पाठ्यक्रम का उद्येश्य समाज की जटिल संबंधों की पहचान करना भी है जिससे विद्यार्थी देश, समाज, राष्ट्र और विश्व के साथ बदलते समय में व्यापक सरोकारों से अपना सम्बन्ध जोड़ सकें।

    इस पाठ्यक्रम के माध्यम से उच्च शैक्षिक स्तर पर हिन्दी भाषा किस प्रकार मुख्य भूमिका निभा सकती है, इससे संबंधित परिणाम को प्राप्त किया जा सकेगा। व्यावसायिक क्षमता को बढ़ावा देने के लिए भाषा, अनुवाद, कंप्यूटर जैसे विषयों को हिन्दी से जोड़कर पढ़ना जिससे बाज़ार के लिए आवश्यक योग्यता का विकास किया जा सके। भाषा अध्ययन के साथ-साथ साहित्य की विधाओं के माध्यम से विद्यार्थियों की रचनात्मकता को दिशा देना और साहित्य की सभी विधाओं के अध्ययन से विद्यार्थियों के भीतर रचनात्मकता का विकास होगा। एक संवेदनशील नागरिक निर्माण के साथ आर्थिक उपार्जन के लिए उपयुक्त बनते हुए राष्ट्र निर्माण में सक्रिय हिस्सेदारी का लक्ष्य इसमें समाहित है।  

 

हिन्दी विषय आधारित ऐच्छिक पाठ्यक्रम (HDSE)

 

हिंदी की मौखिक और लोक-साहित्य परंपरा

 'लोक' की अपनी समझ और विचारधारा होती है। किसी भी भाषा काजन्म लोक में होता है और साहित्य का आधार भाषा होती है। यही कारण है कि साहित्य कीचिन्ता लोक से जुड़ी होती है। इस पाठ्यक्रम का उद्येश्य विद्यार्थियों को भारतीय जीवन की लोकधारा से परिचय प्राप्त कराना है। जिससे कि उनकी लोकभाषा, लोकनृत्य, लोकसंगीत, लोकगीत में रुचि विकसित हो सके।

 

अस्मितामूलक विमर्श और हिन्दी साहित्य : 

  इस पाठ्यक्रम का उद्येश्य भारतीय सामाजिक सन्दर्भ में विभिन्न अस्मिताओं की समस्याओं और उनके परिवेश को समझना है। इस क्रम में स्त्री, दलित, आदिवासी आदि अस्मिता आधारित साहित्य को पढ़ना और उनके प्रति सकारात्मक और संवेदनशील दृष्टि विकसित करना इस पाठ्यक्रम का ध्येय है।

 

हिन्दी भाषा का व्यावहारिक व्याकरण :

  इस पाठ्यक्रम का उद्येश्य विद्यार्थियों के भाषागत रूप को शुद्ध करने का प्रयास है। जिससे कि विद्यार्थी भाषा के स्वरूप, व्याकरण और ध्वनि आदि को समझ सके साथ ही मानकीकरण के अनुरूप हिन्दी भाषा का लेखन और वाचन कर सके। इससे हिन्दी को सर्वमान्य और सर्वग्राह्य बनाने का लक्ष्य भी पूरा हो सकेगा।

 

भारतीय साहित्य की संक्षिप्त रूपरेखा :

  भारतीय संविधान में 22 भाषाओं को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा दिया गया है। इसके अतिरिक्त अन्य सैकड़ों मातृभाषाएँ बोली जाती हैं। भारतीय साहित्य से तात्पर्य उन सभी भाषाओँ के साहित्य से है। इस पाठ्यक्रम का उद्येश्य विद्यार्थियों में अखिल भारतीय साहित्य की समझ विकसित करने के साथ साथ एकसूत्रता में सांस्कृतिक विविधता की समझ को विकसित करना है। इससे भारतीय समाज और संस्कृति की बहुलता को जानने का अवसर भी मिलता है।

 

हिन्दी की भाषिक विविधताएँ :

  हिन्दी अनेक बोलियों और उपभाषाओं का समुच्चय है। विद्यापति से लेकर कबीर तक और खुसरो से लेकर वली दक्कनी तक, हिन्दी भाषा के अनेक रूपों को देखा जा सकता है। इस पाठ्यक्रम का उद्येश्य हिन्दी भाषा के विविध साह्त्यिक रूपों और विधाओं से परिचय कराना है। वाचिक और मौखिक साहित्य के साथ-साथ कला के अन्य अनुशासनों के साथ उसके अंतर्संबंधों से परिचय कराना भी इसका उद्येश्य है।

 

 लोकनाट्य :

  इस पाठ्यक्रम का उद्द्येश्य विद्यार्थियों में लोकनाट्य की विस्तृत परंपरा की सैधान्तिक और व्यवहारिक पक्षों की जानकारी देना है। जिससे कि विद्यार्थियों में पर्यटन, लोकसंगीत, विविध नाट्य रूपों में रूचि जागृत हो सके साथ ही उसमें लोक भावना और भारतीय संस्कृति को जानने-समझने का अवसर प्राप्त होगा।

 

शोध-प्राविधि :

  यह पाठ्यक्रम विद्यार्थियों में शोध के स्वरुप की व्यावहारिक समझ को विकसित करेगा ताकि वाह भविष्य में इस क्षेत्र में मौलिक खोज कर सके। शोध के प्रति विद्यार्थियों में जागरूकता से उच्च शिक्षा में शोध, अन्वेषण और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।

 

हिन्दी रंगमंच :

  नाटक साहित्य की सबसे प्राचीन विधाओं में से है जिसका सीधा संवाद जनता से रंगमंच के माध्यम से होता है। इस पाठ्यक्रम का उद्येश्य हिन्दी रंगमंच के विकास के साथ-साथ उसकी विभिन्न शैलियों का परिचय प्राप्त करना है। इसके साथ ही प्रमुख रंग-विचारकों की रंगदृष्टि से अवगत होना और पारंपरिक तथा आधुनिक रंगमंच की परंपरा और प्रक्रिया को समझना है। जिससे कि भारतीय रंगमंच के विविध स्वरूपों से परिचय हो सके।

 

 

 

हिन्दी सामान्य ऐच्छिक पाठ्यक्रम (HGEC)

 

हिन्दी सिनेमा और उसका अध्ययन :

  हिन्दी सिनेमा वर्तमान में ग्लोबल होने के साथ साथ व्यवसाय और रोजगार के अवसर का भी एक बड़ा प्लेटफ़ॉर्म बन चुका है। इस पाठ्यक्रम का उद्येश्य सिनेमा निर्माण की प्रक्रिया के साथ साथ समाज और संस्कृति की समझ विकसित करना है। साथ ही सिनेमा निर्माण, प्रसार, कैमरे की भूमिका आदि की जानकारी देना है। सिनेमा में पटकथा और संवाद लेखन का तकनीकी ज्ञान देना भी इसका ध्येय है।

 

पटकथा तथा संवाद लेखन :

  सिनेमा, धारावाहिक आदि के प्रसार के कारण पटकथा तथा संवाद लेखन के क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़े हैं। इस पाठ्यक्रम का उद्येश्य पटकथा तथा संवाद लेखन की बारीकियों और तकनीकि से अवगत करना है ताकि भविष्य में विद्यार्थी इस क्षेत्र में अपने कैरियर का चुनाव कर सकें।

 

भाषा और समाज :

  भाषा और समुदाय को बदलते परिवेश में जानना तथा भाषा और जातीयता के विविध रूपों का विश्लेषण करना साथ ही द्विभाषिकता और बहुभाषिकता के विविध प्रारूपों से अवगत होना तथा उनका संदर्भगत विवेचन करना इस कोर्स का उद्येश्य है।

 

हिन्दी का वैश्विक परिदृश्य :

  वैश्विक पटल पर भी हिंदी की पहुँच लगातार बढ़ती जा रही है। हिंदी दुनिया की शीर्ष दस सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में तीसरे नंबर पर है। हिन्दी भाषा और साहित्य के अंतर्राष्ट्रीय स्थिति के परिचय के साथ विकास के नए क्षेत्र, उपलब्धियों और चुनौतियों का विश्लेष्ण करना इस पाठ्यक्रम का उद्येश्य है।

 

 

हिन्दी कौशल-संवर्धक ऐच्छिक पाठ्यक्रम (HSEC)

 

सोशल मीडिया :

  वर्त्तमान में सोशल मीडिया व्यक्तिकी जरूरत और आवश्यकता बन गई है। इसके सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पक्ष सामने आरहे हैं। इस पाठ्यक्रम का उद्येश्य बाजार, सोशल मीडिया और समाज के संबंधों कीव्यावहारिक जानकारी देने के साथ-साथ उसके प्रभाव, विकास, स्वरुप की जानकारी देना है।

 

 

भाषा और समाज :

  भाषा और समुदाय को बदलते परिवेश में जाननातथा भाषा और जातीयता के विविध रूपों का विश्लेषण करना साथ ही द्विभाषिकता औरबहुभाषिकता के विविध प्रारूपों से अवगत होना तथा उनका संदर्भगत विवेचन करना इसकोर्स का उद्येश्य है।

 

B.A. Prog. / B. Com Prog. (HCC)

 

आधुनिक भारतीय भाषा : हिन्दी भाषा और साहित्य 

  हिन्दी भाषा और साहित्य के विकास की स्पष्ट समझ विकसित करना तथा आधुनिक आवश्यकताओं केअनुरूप राष्ट्रभाषा, राजभाषा और संपर्क भाषा की जानकारी देना इस पाठ्यक्रम का उद्येश्य है। हिन्दीसाहित्य के विभिन्न कालखंडों के परिचय के साथ हिन्दी की चुनिन्दा कविताओं सेविद्यार्थियों को परिचय कराना ताकि वह एक संवेदनशील नागरिक बन सके।

 

आधुनिक भारतीय भाषा : हिन्दीगद्य का उद्भव और विकास 

प्रस्तुत पाठ्यक्रम काउद्देश्य, हिन्दी गद्य के उद्भव औरउसके विकास की विस्तार से चर्चा करना है। हिन्दी गद्य की विभिन्न विधाओं कीउत्पत्ति और विकास को उदाहरण सहित समझाना है। चुनिंदा निबंधों, कहानियों, संस्मरणों और नाटकों केमाध्यम से विद्यार्थियों को भाषा और साहित्य के प्रति संवेदनशील बनाना है।

 

 

B.A. Prog. /B. Com Prog. & Others (AECC)

 

हिन्दी भाषा और  सम्प्रेषण :

 विद्यार्थियों में भाषाई सम्प्रेषण की समझ और संभाषण से संबंधित विविधपक्षों से अवगत कराना तथा सामान्य लेखन, रचनात्मक लेखन और तकनीकी शब्दों से अवगतकराना इस पाठ्यक्रम का उद्येश्य है। भाषा की समृद्धि के लिए वार्तालाप, भाषण औरपल्लवन, समीक्षा आदि से परिचय कराना भी इस पाठ्यक्रम का ध्येय है।

 

 

 

B.A.Prog. / B. Com Prog. (GE)

 

जनपदीय साहित्य :

  विद्यार्थियों में लोकसंस्कृति कीसमझ विकसित करना इस पाठ्यक्रम का मूल ध्येय है। 'लोक' की अपनी समझ और विचारधारा होती है। किसी भी भाषा काजन्म लोक में होता है और साहित्य का आधार भाषा होती है। यही कारण है कि साहित्य कीचिन्ता लोक से जुड़ी होती है। इस पाठ्यक्रम का उद्येश्य विद्यार्थियों को भारतीयजीवन की लोकधारा से परिचय प्राप्त कराना है जिससे किउनकी लोकभाषा, लोकनृत्य, लोकसंगीत, लोकगीत में रुचि विकसित हो सके।

 

अस्मितामूलक विमर्श और हिन्दी साहित्य : 

  इस पाठ्यक्रम का उद्येश्य भारतीयसामाजिक सन्दर्भ में विभिन्न अस्मिताओं की समस्याओं और उनके परिवेश को समझना है।इस क्रम में स्त्री, दलित, आदिवासी आदि अस्मिता आधारित साहित्य को पढ़ना और उनकेप्रति सकारात्मक और संवेदनशील दृष्टि विकसित करना इस पाठ्यक्रम का ध्येय है।  


हिंदी GE -1 

Name of the Paper - हिंदी का वैश्विक परिदृष्य 
 Course Outcomes- • भाषा के शुद्ध उच्चारण, रचनात्मक लेखन, औपचारिक लेखन तथा तकनीकी शब्दों से विद्यार्थी अवगत हो सकेगा 
 • स्नातक स्तर के विद्यार्थी को भाषाई संप्रेषण की समझ और संभाषण से संबंधित विभिन्न पक्षों से अवगत हो सकेगा
 • वार्तालाप भाषण संवाद समूह चर्चा ,अनुवाद के माध्यम से विद्यार्थी में अभिव्यक्ति कौशल का विकास हो सकेगा
 • समूह चर्चा , परियोजना के द्वारा विद्यार्थी में आलोचनात्मक क्षमता का विकास हो सकेगा 

 GE- 2 

Name of the Paper - हिंदी सिनेमा और उसका अध्ययन Course Outcomes- • हिंदी सिनेमा, समाज और संस्कृति की समझ 
• सिनेमा निर्माण, प्रसार कैमरे की भूमिका आदि की व्यवहारिक समझ  

GE - 3 

 Name of the Paper- हिंदी में व्यावहारिक अनुवाद 
 Course Outcomes- • अनुवाद की रोजगारपरक क्षमता विकसित होगी

 • क्षेत्र विशेष की मांग से परिचित होंगे



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